सुहास एलवाई जीवन परिचय | Suhas LY Wikipedia in hindi

सुहास एलवाई का परिचय


यूपी के गौतम बुद्ध नगर जिले के डीएम सुहास एल.वाई. (Suhas LY) ने टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) में सिल्वर मेडल (Silver Medal) अपने नाम कर लिया. उनकी जीत पर पूरा देश खुशियां मना रहा है.

बैडमिंटन मेंस सिंगल्स एसएल4 (Badminton Mens singles SL4) के फाइनल मुकाबले में सुहास एलवाई फ्रांस के लुकास माजुर (Lucas Mazur) से हार गए.

IAS सुहास के संघर्ष व कामयाबी की  कहानी - Suhas LY inspiring story in hindi

इस वजह से उन्हें सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा. एसएल4 क्लास में ऐसे बैडमिंटन खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं. जिनके पैर में विकार हो, लेकिन ये खिलाड़ी खड़े होकर खेल सकते हैं.

यूपी के गौतमबुद्धनगर के डीएम सुहास एल वाई (Noida DM Suhas LY) देश के पहले ऐसे आईएएस अफसर (IAS Officer) होंगे, जो टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वह साल 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं.

सुहास अपने खेल पुरुष एकल में विश्व के दूसरे सबसे बेहतरीन पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। सुहास का पूरा नाम ‘सुहास लालिनाकेरे यतिराज’ है। सुहास यतिराज दाहिने पैर से जन्म से ही दिव्यांग हैं।

सुहास एलवाई जीवन परिचय:Suhas LY Wikipedia in hindi

सुहास कर्नाटक के रहने वाले हैं | सुहास यतिराज का जीवन परिचय (Suhas LY IAS Ki Jivan Parichay) कर्नाटक के रहने वाले सुहास यतिराज का जन्म 2 जुलाई 1983 को जयश्री सीएस के घर हुआ था। सुहास के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। अगल-अलग जगहों पर पोस्टिंग होने के कारण सुहास अलग-अलग स्कूलों से शिक्षा प्राप्त की। वैसे तो सुहास की प्रारंभिक शिक्षा हसन जिले के पास डूड्डा में हुआ था । इसके बाद कर्नाटक के माध्यमिक शिक्षा डीवीएस स्वतंत्र कॉलेज शिवमोग्गा से आगे की पढ़ाई की ।


सुहास LY का पूरा नाम सुहास लालिनकेरे यतिराज (Suhas Lalinakere Yathiraj) है. वह मूल रूप से कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं. उनका जन्म 2 जुलाई 1983 को हुआ था. बचपन से ही सुहास एक पैर से विकलांग हैं. उनका दाहिना पैर पूरी तरह फिट नहीं है. सुहास ने सुरतकल से अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद यहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से सुहास ने कम्प्यूटर साइंस में अपनी इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल की.

12 के बाद मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों का एग्जाम दिया था |

12वीं के बाद सुहास ने मेडिकल और इंजिनियरिंग दोनों के एग्जाम दिए. उन्होंने दोनों एग्जाम क्लियर भी कर लिए. बैंगलोर मेडिकल कॉलेज में उन्हें सीट भी मिल गई. लेकिन कहीं ना कहीं उनका मन इंजीनियरिंग चुनने को कर रहा था.

सुहास काफी असमंजस में भी थे, क्योंकि उनका परिवार चाहता था कि सुहास डॉक्टर बनें और परिवार की इच्छा के आगे सुहास ने अपनी इच्छाओं को दबाए रखीं.तभी एक दिन उनके सिविल इंजीनियर पिता ने सुहास को परेशान बैठे देखा और उनसे बात की. तब सुहास ने इंजीनियर बनने की इच्छा जताई.

वहीं 2004 में सुरथकल के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। इतना ही नहीं, सुहास ने इंजीनियरिंग ब्रांच से फस्ट डिवीजन से स्नातक पास किया।

सुहास हमेशा से बैडमिंटन नहीं खेलना चाहते थे और ना ही प्रशासनिक सेवा में आने को लेकर पहले कोई ख्याल आया. दरअसल, नौकरी के चक्कर में सुहास बेंगलुरु से जर्मनी तक पहुंचे. इस समय उनके जीवन में पैसा ठाठ-बाठ सब था, इसके बावजूद सुहास को मन ही मन किसी चीज की कमी खल रही थी.

नौकरी करने के दौरान उनके मन में सिविल सर्विसेज जॉइन करने का ख्याल आया. इसके बाद उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी. इसी बीच साल 2005 में सुहास के पिता की मृत्यु हो गई. पिता की मौत ने सुहास को झकझोर दिया. ये घटना ही

सुहास एल यतिराज एक भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी और वर्तमान में यूपी के गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के डीएम भी हैं, सुहास एल वाई यूपी कैडर के 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। साल 2006 की यूपीएससी परीक्षा में सुहास ने एआईआर 382 रैंक (Suhas LY IAS Rank) हासिल किया था और साल 2007 में भारत के पहले विशेष रूप से दिव्यांग आईएएस अधिकारी बने। आईएएस अधिकारी बनने के बाद उन्होंने आगरा में अपने करियर की शुरुआत की।

सुहास एलवाई बायोग्राफी

सुहास पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी आगे रहते थे. उन्हें भी बचपन से क्रिकेट समेत कई खेलों में रुचि थी. सुहास शौकिया तौर पर बैडमिंटन खेला करते थे. हालांकि, उन्होंने कभी प्रोफेशनल एथलीट बनने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन एक दिन उनका ये शौकिया तौर पर खेलना उनका पैशन बना गया. साल 2016 में सुहास ने पैरा एशियन चैंपियनशिप में पार्टिसीपेट किया.

उनके इस चैंपियनशिप में भाग लेने की किसी को खबर नहीं थी. सुहास ने सात दिन की छुट्टी ली और बिना किसी को बताए चुपचाप चाइना निकल गए. इस इंटरनेशनल टूर्नामेंट में उन्होंने देश के लिए गोल्ड मेडल भी जीता. बीजिंग वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता.

इसके साथ ही वह एक पेशेवर अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय नौकरशाह बने. उस दौरान वे आजमगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे. तब उन्होंने फाइनल में इंडोनेशिया के हैरी सुसांतो को हराकर स्वर्ण पदक जीता था. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह तब आकर्षण का केंद्र बने.

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बताया जाता है कि उनके दाहिने पैर में पोलियो होने के बाद उनका पैर खराब हो गया था। हालांकि उन्होंने कभी इस कमजोरी को खुद पर हावी नहीं होने दिया और इसे अपनी ताकत बनाकर बैंडमिंटन कोट में उतर गए।

सुहास यतिराज की पत्नी (Suhas LY IAS wife)

सुहास यतिराज ने रितु सुहास (Ritu Suhas) से शादी की है। साल 2019 में हुए मिसेज इंडिया प्रतियोगिता में रितु सुहास मिसेज यूपी चुनी गई थीं। वर्तमान समय में रितु इलाहाबाद में पीसीएस अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं।

पति से कम नहीं हैं नोएडा के DM की पत्नी, कभी अखबार खरीदने के नहीं थे पैसे,  आज हैं PCS अफसर| Ritu Suhas, wife of Noida DM Suhas LY, is no less
Suhas LY IAS wife

कर्नाटक के सिमोगा जिले के रहने वाले सुहास एलवाई गौतमबुद्धनगर से पहले प्रयागराज, आजमगढ़, सोनभद्र, महाराजगंज, हाथरस में डीएम की जिम्मेदारी निभा चुके हैं

सुहास एलवाई विकिपीडिया : suhas ly love story in hindi

सुहास एलवाई का प्रोफाइल काफी दमदार हैं। वो स्टेट के बेहतरीन पैरा स्पोर्ट्सपर्सन के अलावा यश भारती पुरस्कार से भी सम्मानित हुए थे । नोएडा को कोरोना से बचाने के लिए तैनात किए गए सुहास एलवाई इससे पहले लखनऊ में यूपी के नियोजन विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी पद पर तैनात थे। लेकिन उनकी पत्नी 2004 बैच की पीसीएस अफसर ऋतु सुहास भी कम नहीं। अफसर होते हुए मिसेज इंडिया-2019 का खिताब जीतने वाली ऋतु सुहास प्रतियोगी स्टूडेंट के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, ऋतू के पास कभी कोचिंग और अखबार के महीने पूरे होने पर पैसे नहीं जुट पाते थे। हालांकि अपनी एक सहेली के नोट्स के माध्यम से सेल्फ स्टडी कर अपना मुकाम हासिल किया और इस समय एलडीए में ज्वांइट सेकेट्री के पद पर तैनात हैं।

ऋतु सुहास ने 2003 में पीसीएस की तैयारी करने का डिसीजन किया। रिश्तेदार घर से बाहर निकलकर पढ़ाई करने से खुश नहीं थे। लेकिन, पैरेंट्स ने मेरा पूरा सपोर्ट किया। मां एक-एक पैसे जोड़ा करती थी। ताकि हम भाई बहन की छोटी-छोटी जरुरतें पूरी हो सकें।

ऋतु ने एक इंटरव्यू में बतया था की घर में फाइनेंसियल प्रॉब्लम काफी ज्यादा थी, कोचिंग की फीस जमा करने के लिए पैसे नहीं थे। एक इंग्लिश न्यूज पेपर डेली पढ़ती थी। लेकिन, महीने में पैसे देने के लिए नहीं जुट पाते थे। इसलिए छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।

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ऋतु ने बताया कि मेरी एक फ्रैंड थी, वह भी पीसीएस की कोचिंग करती थी। मैं रोज शाम को उसके घर जाकर उसके नोट्स से अपना नोट्स तैयार करती थी। बाद में उसे पढ़ा करती थी। मेरी मैरिज 2008 में सुहास एलवाई से हुई थी। मेरे 2 बच्चे हैं, बेटा और बेटी।

पीसीएस इंटरव्यू के लिए शीशे के सामने रोज बैठकर अपने आप को देखकर बोलने की प्रैक्टिस करती थी। इससे मेरी बोलने की झिझक खत्म हुई और कुछ ही दिनों के अंदर मैंने फर्राटेदार बोलना शुरू कर दिया। मैंने 2003 में पीसीएस का इंटरव्यू दिया और क्वालीफाई कर गई।

मातृत्व देखरेख के लिए 2 मोबाइल एप ‘कुपोषण का दर्पण’ और ‘प्रेग्नेंसी का दर्पण’ तैयार किया था। इस एप का प्रेग्नेंट वुमन को काफी फायदा पहुंचा। मिसेज इंडिया-2019 का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं।


सुहास एलवाई दुनिया के नंबर-3 बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. साल 2018 में जकार्ता में हुए एशियन पैरा गेम्स में ब्रॉन्ज़ मेडल भी जीता था. इसके अलावा मार्च 2018 में वाराणसी में आयोजित हुई दूसरी राष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर नेशनल चैंपियन बने थे.

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुहास एलवाई को यश भारती अवॉर्ड से नवाजा था. इसके अलावा दिसंबर 2016 को ‘वर्ल्ड डिसेबिलिटी डे’ के अवसर पर उन्हें स्टेट का बेस्ट पैरा स्पोर्ट्सपर्सन चुना गया था. अपने करियर में अब तक सुहास कई इंटरनेशनल और नेशनल गोल्ड मेडल्स जीत चुके हैं. वहीं, इस बार टोक्यो ओलिंपिक में पदक जीतकर एक बार फिर उन्होंने दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है.

सुहास लालिनाकेरे यतिराज का नेट वर्थ (Suhas Yathiraj Net Worth)- लगभग 1.5 मिलियन डॉलर।