राजा का उत्तराधिकारी | Raja ka UttraDhikari Moral Kids Story

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नमस्कार दोस्तों हम फिर से हाजिर हैं एक नई कहानी के साथ । इस कहानी का नाम (राजा का उत्तराधिकारी | Raja ka UttraDhikari Moral Kids Story) है ।

जैसा की आपको हमने अपनी पिछली कहानी ” शेर और खरगोश ” मे अच्छी सीख दी । उसी तरह इस कहानी मे भी कुछ अच्छा और मजेदार जाने को मिलेगा । कहानी को पूरा पढ़ें ।

राजा का उत्तराधिकारी | Raja ka UttraDhikari Moral Kids Story

एक समय की बात है, उज्जैन के राजा की कोई संतान नहीं थी। लेकिन राज्य को आगे बढ़ाने के लिए एक उत्तराधिकारी की जरूरत थी।

इसलिए राजा ने एक फैसला किया कि वह अपने ही राज्य से किसी एक बच्चे को चुनेगा जो उसका उत्तराधिकारी बनेगा ।

इस इरादे से राजा ने अपने राज्य के सभी बच्चों को बुलाकर यह घोषणा की कि वह इन बच्चों में से किसी एक को अपना उत्तराधिकारी चुनेगा।

उसके बाद राजा ने उन बच्चो को एक एक थैली बंटवा दी और कहा। कि आप सब  लोगो को जो थैली दी गई है उसमे अलग-अलग फूलों का बीज हैं.. हर बच्चे को सिर्फ एक एक बीज ही दिया गया है।

आपको इसे अपने घर ले जाकर एक गमले में लगाना है। और 6 महीने बाद हम फिर इस आप सब के इस गमले के साथ यहीं इकठ्ठा होंगे ।

और उस समय मैं फैसला करूँगा की कौन इस राज्य का उत्तराधिकारी बनेगा। उन लडकों में एक श्याम नाम का लड़का था । बाकी बच्चो की तरह वो भी बीज लेकर ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर वापस आ गया।

उसी दिन घर जाकर उसने एक गमले में उस बीज को लगा दिया और उसकी अच्छे से देखभाल की। दिन बीतने लगे, लेकिन कई हफ्ते बाद भी गमले में पौधे का कोई नामोनिशान नही आया ।

राजा का उत्तराधिकारी | Raja ka UttraDhikari Moral Kids Story
राजा का उत्तराधिकारी | Raja ka UttraDhikari Moral Kids Story

वहीं आस पास के कुछ बच्चों के गमलों में पौधे दिखने लगे। लेकिन श्याम ने सोचा की हो सकता है की उसका बीज अलग हो। यह सोचकर वह पौधे की देखभाल पूरी लगन के साथ करता रहा ।

लेकिन लगभग तीन महीने बीत जाने के बाद भी उसका गमला खाली था…. जबकि दूसरे बच्चों के गमले में फूल भी खिलने लगे थे ।

श्याम का खाली गमला देखकर सभी उसका मजाक उड़ाने लगे । पर इसके बावजूद भी श्याम ने हार नही मानी और लगातार गमले की देखभाल करता रहा देखते-देखते 5 महीने बीत गये ।

अब श्याम चिंतित था क्योंकि उसके गमले में कुछ नही निकला था ।और अब उस गमले की देखभाल में उसकी रूचि कम हो गयी थी ।

लेकिन उसकी माँ ने समझाया कि – बेटा नतीजा कुछ भी हो लेकिन तुम्हे इस गमले पर अब भी उतनी ही मेहनत और उतना ही समय देना है जितना तुम पहले देते थे ,फिर भले ही गमले के प्रति तुम्हारी ये मेहनत बेरुखी से भरी हो ।

क्योंकि ऐसा करने से तुम्हे भी एक तसल्ली होगी कि बे चाह और बेरुचि ही सही लेकिन तूने उस गमले के लिये आखिरी तक अपनी ड्यूटी और मेहनत दी। बाकी राजा जाने।

और फिर अंत में उसकी माँ ने उसे ये भी समझाया कि सोचो अगर राजा को ये पता चलेगा कि आखिरी में तुमने गमले के प्रति मेहनत और समय देना बन्द कर लिया था।

तो हो सकता है राजा तुमसे गुस्सा करें । और श्याम माँ की ये सब बातें सुनकर , तो कभी राजा के डर को याद कर , बेरुखी और बेरुचि ही सही लेकिन पूरा समय और मेहनत देता रहा ।

और 6 महीने पूरे हो गए उस  तय हुए दिन सभी बच्चों को महल में इकठ्ठा किया गया सभी के गमलों में पौधे थे। बस श्याम का गमला खाली था।

राजा बच्चों के बीच से होकर आगे बढ़ने लगे … और गमले में लगे सबके पौधों का निरिक्षण करते… सबके पौधे देखते-देखते राजा की नजर श्याम के गमले पर पड़ी… राजा ने श्याम से पूछा क्या हुआ तुम्हारा गमला खाली क्यों है?

श्याम ने हिचकिचाहट के साथ जबाव दिया- जी मैंने तो इस गमले पर पूरे 6 महीने तक अपनी तरफ से पूरी मेहनत की और पूरा पूरा समय भी देता रहा  लेकिन इसमें से कुछ भी नही निकला।

राजा आगे बढ़े और सभी के गमले देखने के बाद सभी बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप लोगों ने पौधा लगाने में बहुत मेहनत  की ।

ज्यादातर लोग किसी भी कीमत में राजा बनना चाहते हैं लेकिन एक लड़का यहाँ खाली हाथ आया… जिसका नाम है श्याम … राजा ने श्याम को अपने पास बुलाया ।

“राजा के इस तरह बुलाने पर श्याम को कुछ अजीब लगा..” श्याम धीरेे-धीरे राजा के पास पहुँचता है… जैसे ही राजा श्याम के उस खाली गमले को उठाकर सभी बच्चों को दिखता है…. सभी हंसने लगे ।

राजा ने ऊँची आवाज में कहा- शांत हो जाओ । 6 महीने पहले मैंने आप सब को जो एक एक बीज दिये थे , वे सब बंजर थे जो कभी उग नही सकते थे ।

आप चाहे उसकी कितनी भी देख रेख कर ले उसमे से कुछ भी नही उग सकता था , लेकिन आप सब ने बीज बदल कर आसानी से उगने वाले दूसरे बीज़ ख़रीदे ताकि आप राजा बन सकें।

लेकिन आप सब में सिर्फ श्याम ही है जो खाली हाथ आया है । श्याम ने मेरे दिये उस बीज़ पर खूब मेहनत की और जब अंत में उसे लगा कि शायद बीज उगने का कोई चारा नही !

तो भी बेरुखी से ही सही लेकिन उसने पूरे 6 महीनो तक उस गमले में हर रोज अपनी मेहनत और समय दिया । इसलिये मैं श्याम को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करता हूँ ।

यह सुनकर सभी लोग दंग रह जाते हैं और श्याम राजा के चरण स्पर्श करता है और राजा उसे बड़े धूम धाम से अपना उत्तराधिकारी बनाते हैं ।

कहानी से सीख

हमे किसी भी काम को करने के लिए बेरुखी , बेरुचि या डर से ही सही, लेकिन पूरा समय देना चाहिए और हार नहीं मानना चाहिए ।

सो अगर ईश्वर के भजन बन्दगी में भी अगर कोई रस नही आता, कोई आनंद या मज़ा नही आता , तो भी बैठो । पता नही कब वो मालिक हमारी इस बेरुखी , बेरुचि और डर को प्रेम में बदल कर हमें जीत का सरताज पहना दे ।

आज की कहानी बस इतनी सी ! जल्द ही हाजिर होंगे फिर एक नई कहानी के साथ ।

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आखिरी शव्द – Raja ka UttraDhikari Moral Kids Story

हमे उम्मीद है आपको यह कहानी “(Raja ka UttraDhikari Moral Kids Story)” पसंद आई होगी । अगर आपका कोई भी सवाल है तो हमे कॉमेंट मे लिख कर भेज दीजिए ।

धनवाद आपका ।