महामूर्ख की कहानी (Moral Story in Hindi for Class 3 mahamurkh )

महामूर्ख की कहानी

एक महामूर्ख था। एक बार वह अपनी बहन के घर दूसरे गाओं में गया। बहन ने बड़ी उमंग से भाई को चूरमा के लड्डू खिलाए । भाई को लड्डू बहुत पसंद आए। उसने बहन से पूछा, “क्या नाम है इसका ?” बहन ने कहा, “चूरमा ।”

भाई ने सोचा कि घर पहुँचकर चूरमा बनवाऊँगा और पेट भरकर खाऊँगा। वह मन ही मन ‘चूरमा’ की रट लगाते हुए अपने घर की ओर लौट पड़ा । वह जानता था, रटेगा नहीं तो सब भूल जाएगा।

रास्ते में एक छोटा सा नाला पड़ा। उसे पार किए बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता था। उसने पार करने की तरकीब सोची और पार भी कर लिया।

लेकिन इस दौरान वह ‘चूरमा’ शब्द भूल गया और उसके बदले ‘वाह, क्या पार किया’ जबान पर चढ़ गया।

थोड़ी देर बाद घर पहुँचकर उसने पत्नी से कहा, “सुनो, जल्दी करो । मेरे लिए ‘वाह – क्या पार किया’ बना दो मुझे तो वही खाना है। मेरी बहन ने बहुत मीठे ‘वाह, क्या पार किया’ बनाए थे ।”

पत्नी सोच में पड़ गई— ‘अरे, यह ‘वाह, क्या पार किया’ किस चिड़िया का नाम है ?’ बात उसकी समझ में नहीं आई। देर होती देखकर महामूर्ख का गुस्सा बढ़ने लगा। बोला, “निठल्ली, बनाती क्यों नहीं? कद्दू की तरह बैठी क्यों हो?”

पत्नी ने कहा, “वाह, क्या पार किया- कैसे बनता है, तो नहीं जानती। आपकी बहन जानती है तो वापस उसके घर जाओ और उससे कहो कि बना दे।” यह सुनकर उसका पारा चढ़ गया।

पास ही में एक डंडा पड़ा था । उसे उठाकर वह अपनी घरवाली को दनादन पीटने लगा । बेचारी को इतना पीटा कि उसके सारे बदन पर चकत्ते उठ आए।

पास-पड़ोस के लोग दौड़कर इकट्ठे हो गए। पति को डाँटते हुए बोले, “अरे, बीवी को कोई ऐसे पीटता है! मार मारकर बेचारी का चूरमा बना डाला । ” वह बोला, “हाँ-हाँ, यही! मुझे तो चूरमा के लड्डू खाने हैं। मैं तो इसका नाम ही भूल गया था। ” सबने कहा, “महामूर्ख कहीं का!”

Moral of Stories in Hindi for Class 3 – अज्ञान से बड़ा दूसरा कोई दुश्मन नहीं होता।