पाप देखना भी पाप (Moral Story in Hindi for Class 3 bhishma story)

पाप देखना भी पाप

कुरुक्षेत्र के मैदान में भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर लेटे हैं। मगर उनके प्राण नहीं निकल रहे हैं । अर्जुन ने तीर मारकर पाताल फोड़ डाला था । पाताल के झरने का पवित्र पानी भीष्म पितामह पर छिड़का गया , फिर भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली।

आसपास पांडव खड़े थे । भीष्म कातर दृष्टि से कृष्ण को देख रहे थे । श्रीकृष्ण ने कहा, “आपने पाप देखा है, इसीलिए यह यातना भोग रहे हैं। ” भीष्म तो गंगाजल से पवित्र हैं फिर भी? श्रीकृष्ण ने आगे कहा, “कौरवों की भरी सभा में जब दुःशासन द्रौपदी का चीर खींच रहा था, उस वक्त आप भी वहाँ उपस्थित थे, दूसरों की तरह मूकदर्शक थे। न आप दुःशासन का हाथ पकड़ सके, न दुर्योधन को ललकार सके ।’

Moral of Story in Hindi for Class 3 -पाप देखना भी पाप में भागीदार बनने से कम नहीं है।