कविता की क्यूट कहानी | Love story in hindi

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महीना कुछ यूं ही जुलाई अगस्त का रहा होगा । आकाश साफ़ था हल्की बारिश हो रही थी। हम अपने दोस्तों के साथ कॉलेज परिसर में ही बैठकर बारिश का लुत्फ उठा रहे थे आज हम दोस्त यहां वहां की बातें कर रहे थे और जोर जोर से गाने गा रहे थे।

तभी मेरा ध्यान कैंटीन के सामने वाली रोड पे दौड़ती हुई खुद को भीगने से बचाने की असफल कोशिश करती हुई पीली सलवार सूट और अपने भीगे बालों को मोड़कर पीछे की तरफ कर के कोई जा रही थी।

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उसके सांवले चेहरे पर पड़ती बारिश की बुँदे और माथे पर लाल बिंदी गजब की खिल रही थी। जब वह मेरी नजदीक आई तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गई।
अरे! यह तो कविता है ।

उसका नाम मेरे मुंह से अचानक निकल गए। मैंने कविता को कई बार स्कूल के दौरान पीछा कर चुका था लेकिन कोई भी जवाब नहीं मिला था । एक बार तो उसने अपने क्लास टीचर से शिकायत की थी और सिन्हा सर ने जम कर धोया था। धुलाई इतनी तगड़ी थी की आज भी उनका चांटा याद है।

यह बात हुए 6 साल हो गए तब मै 8 वी में था और कविता 6 में थी. फिर मेरे पापा का ट्रांसफर देहरादून हो गया और मेरी लखनऊ की लव स्टोरी वही ख़त्म हो गयी. समय के साथ पढाई लिखाई का प्रेशर मुझे कोटा ले गया। और २ साल बाद आज बनारस के bhu में आज सेकंड ईयर के इंजीनियरिंग के हॉस्टल में हु.

कविता का चेहरा कभी भुला नहीं ,शायद बचपन का निस्छल लगाओ कभी भूलता नहीं । शायद यही कारण था कि कविता आज फिर जिंदगी में वापस आ गयी।

अगले दिन कैंटीन में जब मै खाना खा के निकल रहा था कविता और उसके फ्रेंड्स सर झुकाये खाने के लिए आये। आपन तो जूनियर्स के लिए बाप थे. मैंने और रवि ने मौका देखते ही दो लड़कियों की इंट्रोडक्शन देने के लिए रोका . उसमे कविता भी थी.

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आज उसे इतनी सजी -सबरी देखकर मैंने भी ठान लिया था कि आज उसकी अच्छी रैगिंग लूंगा क्यूंकि सिन्हा सर का चाटा आज भी गूंज रहा था। मेरा दुश्मन मेरे सामने था
मैंने कविता को जोर से कहा ” अपने बारे में बिना सांस रोके ४ मिनट तक बोलो “

कविता बिना सर उठाये बोलना चालू किया

हेलो सर, मेरा नाम कविता कश्यप है और मै लखनऊ से हु. मेरे पापा एक बिजनेसमैन है ,मम्मी गृहणी। मेरी सिस्टर मुझसे एक साल छोटी है और फिलहाल मेडिकल की तैयारी कर रही है. मुझे फिल्मे देखना नोवेल्स पढ़ना अच्छा लगता है ” इतना कह रही थी की मैंने टोका कौन सी फिल्मे तुम देखती हो ? उसनने कहाँ बॉलीवुड ,हॉलीवुड हॉरर फिल्मे। ..मैंने फिर टोका ” लव स्टोरी नहीं पसंद ? कविता ने कहा..” नहीं सर, मुझे सस्पेंस,हरोर फिल्मे पसंद है।

हमारा ब्रेक ख़तम हो रहा था। .मैंने कविता को जोर से कहा..बाकी इंट्रो आपको कल देना है। इस बात को हुए 3 महीना हो गया।

आज कविता ने मुझे व्हाट्सप्प किया “मैकेनिक्स के माथुर सर के ज़ेरॉक्स रखा है आपने ?” मैंने कहा। .कल दे दूंगा राजू भैया के कैंटीन पे आ जाना। .वहां चाय भी पि लेंगे. लगता है कविता को पता लग गया था की मै अपने ब्रांच का टोपर हु और उसको भी अच्छे नंबर पाने का कीड़ा काट चूका था।

अगले दिन हम कैंटीन में मिले। .मैंने नोट्स देते हुए पूछा,,सिन्हा सर याद हैं ? कविता ने हलके से मुश्कुराते हुए कहा ” हाँ, इंग्लिश अच्छा पढ़ाते थे “मैंने कहा ” हाँ, इंग्लिश के साथ युद्ध शास्त्र में भी महारथी थे ” वह जोर से हंसने लगी। शायद हम दोनों जानते थे की किस युद्ध की बात हो रही थी।

ऐसे ही महीने में इक्का दुक्का मुलाकातें ४/५ महीने चली. तब मै थर्ड ईयर के लास्ट सेम्सटेर में चला गया था और कविता फर्स्ट ईयर… अब कविता अक्सर मुझे डौट्स क्लियर करने के लिए व्हाट्सप्प कॉल करती। और क्लियर होते ही कॉल कट. सुरु शुरू में तो मुझे गुस्सा आता था की मेरा टाइम बर्बाद कर रही.. लेकिन पता नहीं क्या था की मै उसका कॉल हमेशा उठा लेता था।

एक दिन मैंने पूछा.. “क्या सिर्फ तुम मुझे अपने काम के लिए कॉल करोगी ,कुछ नार्मल दोस्ती नॉन अकादमिक बाते हम नहीं कर सकते कभी कभी “? उधर से आवाज नहीं आयी ,मैंने हेलो हेलो दो बार बोलै। .कविता ने धीरे से हाँ हेलो कहाँ ? मैंने तुमसे कुछ पूछा उसका तुमने जबाब नहीं दिया। . कविता ने कहा ” मुझे लगा आप टोपर हो ,आपको पढाई लिखाई के अलावा कुछ थोड़ी सूझता होगा

मैंने गुस्से से कहा ” तुम्हारी यही दिक्कत है ,तुम अपने आप से सोच लेती हो और फिर सामने वाला पिटा जाता है ” सॉरी ,उधर से आवाज़ आयी
मैंने बोला किस बात की सॉरी ,,पिटाई की या सिर्फ अपने काम के लिए कॉल करने के लिए। .

कविता ” दोनों ” फिर मुझे लगा शायद वह उनकंफर्टबले है। .मैंने बात घुमाते हुए फिर कहा ” थर्मोडीनमिक्स में तीनो लॉज़ को अच्छे से पढ़ लेना ,गुप्ता सर उससे खूब सवाल पूछते है। .कविता ने कहा ” हम्म।

उस रात मै देर रात तक सो नहीं पाया। .पता नहीं क्या कारण था। . अगले महीने हमारे exams ख़तम हो गए और मैंने और कविता ने दिल्ली जाने के लिए एक ही बस में टिकट ले लिया। मुझे अपने समर इंटरशिप के लिए दिल्ली जाना था और कविता अपने कजिन की शादी में जा रही थी।

बस की सीट पर हम दोनों असहज होकर बैठ गए। वह विंडो सीट पर बैठे हुए बाहर देखे जा रही थी और मै हैडफ़ोन से गाने सुन रह था.

क्रमशः