Comedy kavita | कॉमेडी कविता

स्टेट बस का सफ़र

मै नहीं भूलूंगा स्टेट बस का सफ़र
जिसे याद करके हंस देता हूं अक्सर
भरी बस में कंडक्टर तक पहुँचने का जंग
परेशां था मैं देख के लोगो का ये रंग

सोचा पड़ोसी को पैसे दूँ टिकट मंगवा लू
डर लगता था सौ का वो नोट ही गवां दू
डरते डरते सौ का नोट मैंने उसे थमाया
खो गया भीड़ में वो कहाँ नज़र आया

जैसे तैसे मैंने टिकट कटवाइ और खुद का स्थान बनाया
पर थोड़ी देर में ही भीड़ का एक और हुज़ूम उमड़ आया
दिन के समय में अँधेरा छा गया
उतरने की जल्दी में मैं बस पे पसरा गया

समझाया खुद को चलो जैसे तैसे सफ़र तो कटा
तभी वहां लगे बोर्ड को देख कर मेरा ध्यान बंटा
वाह री स्टेट सर्विस वाह तेरा क्या काम है
शहर से 40 किलोमीटर दूर था बोर्ड पर वहीं नाम है

comedy kavita,
comedy poems in hindi,
comedy kavita in hindi,
comedy poem on corruption in hindi,
comedy poem in marathi,
comedy poem in hindi language,
hindi kavita comedy,
best comedy poem in hindi,
marathi kavita vinodi,
hindi comedy poems for class 8,